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भारतीय जन नाट्य संघ का 13 वां राष्ट्रीय सम्मेलन : कलाकारों ने निकाली अनूठी रैली

मोहम्‍मद जा़किर हुसैन

भारतीय जन नाट्य संघ का 13 वां राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में मौजूद मंच पर आसीन अतिथि
जनगीतों की धूम और ‘लांग लीव इप्टा’ व ‘मार्च ऑन इप्टा मार्च ऑन’ के नारों के बीच भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) का 13 वां राष्ट्रीय सम्मेलन इस्पात नगरी में शुरू हुआ। देश भर से आए 800 से ज्यादा प्रतिनिधियों के बीच नेहरू हाउस में ध्वजारोहण करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रणवीर सिंह ने कहा कि इप्टा पूरी दुनिया में थियेटर और कल्चर की सबसे बड़ी संस्था है, जो अपने नृत्य, गीत और नाटक के द्वारा समाज में जागरूकता का काम कर रही है।

इस मौके पर इप्टा भिलाई और बिहार ने जन गीत गाए। ध्वजारोहण स्थल शरीफ अहमद मुक्ताकाशी मंच के बायीं ओर लोक कला वाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय और दाहिनी ओर फोटोग्राफर अनिल कामड़े के खींचे छायाचित्रों की प्रदर्शनी लगी है। एक कमरे में काष्ठ शिल्पी श्रवण चोपकर द्वारा बिना किसी जोड़ के लकडिय़ों पर की गई नक्काशी का अद्भुत नमूना प्रदर्शनी में देखने मिल रहा है वहीं दीवारों पर जयपुर के पंकज दीक्षित के कविता पोस्टर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। ध्वजारोहण के बाद इप्टा का प्रतिनिधि सम्मेलन सभागार में हुआ। इसकी अध्यक्षता पी. गोपालकृष्ण, रणवीर सिंह और समीक बंदोपाध्याय ने की। राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने अपने प्रतिवेदन में दिवंगत साथियों विष्णु प्रभाकर, हबीब तनवीर, शरीफ अहमद, डॉ. कमला प्रसाद, प्रभाष जोशी, मणि कौल, शम्मी कपूर, अदम गोंडवी, जगजीत सिंह एवं अन्य को श्रद्धांजलि अर्पित की। इप्टा ने आतंकवाद और दंगों के दौरान मारे गए लोगों को भी श्रद्धांजलि दी। श्री रघुवंशी ने कहा कि इप्टा मजबूत लोकपाल बिल के पक्ष में है और सिटीजन चार्टर को लागू करवाना भी चाहता है। उन्होंने कहा कि आज भारत के 20 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में इप्टा की इकाइयां सक्रिय हैं और हम नेशनल कल्चरल फोरम बनाने प्रयासरत हैं। इसके उपरांत ‘जन संस्कृति-समय के साथ मुठभेड़’ पर आधार वक्तव्य देते हुए डॉ. जावेद अख्तर खान ने कहा कि हमारे नाटक और गीत अगर बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट न ला सकें तो किस काम के। ताकत के सामने की गिड़गिड़ाहट को निर्भिक स्वर न दे पाने वाले नाटक और गीत हमें नहीं चाहिए।
शाम को इप्टा की राष्ट्रीय सांस्कृतिक रैली आकाशगंगा सुपेला से निकली। यहां 4 बजे तक आंध्रप्रदेश प्रजा नाट्य मंडली इप्टा, इप्टा आगरा, पंजाब,झारखंड, बिहार, राजस्थान, देहली राज्य, जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यों के इप्टा के दल इकट्ठा हो गए थे। श्रमजीवी पत्रकार संघ की ओर से इनका स्वागत किया गया। पंथी करते छत्तीसगढ़ी कलाकारों की अगुवाई में यह रैली जेपी चौक से सेंट्रल एवेन्यू के लिए निकली। यहां जगह-जगह इस रैली का स्वागत किया गया। रैली सेंट्रल एवेन्यू से सेक्टर-1 पार्क-स्टेडियम होते हुए कार्यक्रम स्थल में लौटी। देर शाम खचाखच भरे सभागार (हबीब तनवीर रंगमंच) में बैंगलुरु से आए वरिष्ठ रंगकर्मी प्रसन्ना ने त्रिदिवसीय समारोह का उद्घाटन किया। इस मौके पर मंच पर कुलदीप सिंह, विनोद कुमार शुक्ल, सुभाष मिश्र,सीताराम, हिमांशु राय, जॉन मार्टिन नेलसन, अंजन श्रीवास्तव, रणवीर सिंह, अशोक भौमिक, जितेंद्र रघुवंशी, पी.गोपालकृष्ण, राजेश श्रीवास्तव, जुगल किशोर,राकेश व पी. संबा शिव राव सहित अन्य लोग मौजूद थे। छत्तीसगढ इप्टा के डोंगरगढ़ वालों ने उद्घाटन समारोह के बाद हबीब तनवीर रंगमंच पर दो जन गीत प्रस्तुत किए।मुंबई इप्टा का नाटक अंजन श्रीवास्तव अभिनीत ‘कशमकश’के अंश प्रस्तुत किए गए। कुलदीप सिंह की कबीर पर प्रस्तुति हुई और आगरा इप्टा ने नाटक ‘किस्सा एक अजनबी का’ प्रस्तुत किया।
 कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शकों और कलाकारों की उपस्थिति रही। 

फिल्म के बजाए मन रमा थियेटर म्यूजिक में

कुलदीप सिंह
‘साथ-साथ’ में ‘तुमको देखा तो ये खयाल आया’ की बात हो या फिर ‘अंकुश’ में ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’जैसी अमर प्रार्थना। संगीतकार कुलदीप सिंह की धुनें लोगों के जहन में इस कदर बसी है कि उनकी ये दो फिल्मों के गीत आज भी लोग भूले नहीं है। ये अलग बात है कि खुद कुलदीप का फिल्मों के बजाए थियेटर म्यूजिक में रम चुका है। यहां इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए कुलदीप सिंह ने ‘भास्कर’ से चर्चा करते हुए कहा कि थियेटर म्यूजिक की बदौलत पिछले साल संगीत नाटक अकादमी का अवार्ड मिला, इससे मैं संतुष्ट हूं।

इन दिनों कबीर पर अपनी कंपोजीशन से धूम मचाए हुए कुलदीप ने कहा कि उनकी नजर में कबीर एक ऐसे एक्टीविस्ट हैं,जो आज भी सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। कबीर की रचनाओं पर किए अपने प्रयोग के संबंध में उन्होंने कहा कि मुंबई इप्टा के युवा लोगों को लेकर मैने पूरी रचना तैयार की। इसका नतीजा है कि युवा अब कबीर के ज्यादा करीब आ रहे हैं। फिल्मों की बात निकली तो कुलदीप ने बताया कि कॉलेज के दिनों में कभी जगजीत सिंह से वायदा किया था कि अगर फिल्म मिली तो तुम्हे जरूर मौका दूंगा। मेरे ही सहपाठी रमन कुमार ने जब 1982 में ‘साथ-साथ’ की प्लानिंग की तो मैं पहुंच गया जगजीत के घर पुराना वादा याद दिलाने। हालांकि तब तक जगजीत स्थापित हो चुके थे। उसके बावजूद जगजीत-चित्रा ने मेरे साथ काम किया। जावेद अख्तर के गीत और मेरा संगीत आज भी पसंद किया जाता है। लेकिन उस वक्त भारी डिमांड के बावजूद हमारी जोड़ी आगे नहीं चल सकी। इसकी वजह पूछने पर वह ‘ऑफ द रिकार्ड’ का हवाला देकर चुप्पी साध जाते हैं। इसी तरह ‘अंकुश’का जिक्र आया तो कुलदीप ने बताया कि तब एन. चंद्रा हमारे लिए चंदू थे, उन्हें भी एक ‘खाली बैठा’संगीतकार चाहिए था, लिहाजा मुझे ले लिया।

‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ की धुन मुझे अचानक ही सूझी, ये अलग बात है कि ये प्रार्थना इतनी हिट हो गई। कुलदीप ने बताया कि इप्टा से उनका जुड़ाव 41 साल का है और आज भी इप्टा में बहुत कुछ करने की तमन्ना है।

हम 4-4 कार में घूमेंगे तो असंतोष बढ़ेगा ही 

प्रशन्‍ना
वरिष्ठ रंगकर्मी व कर्नाटक के शिमोगा जिले में बुनकरों के बीच सक्रिय प्रसन्ना का कहना है कि देश में विकास का आधार ही गलत है। एक तरफ गरीब लोगों को कहा गया कि उन्हें अमीर बना देंगे, दूसरी तरफ जो अमीर थे उनके पास कारों की तादाद बढ़ती गई।

इससे तो असंतोष ही फैलेगा। ‘भास्कर’ से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिमोगा के अपने पैतृक गांव हेग्गोड़ू में वह बुनकरों की सोसाइटी ‘चरखा’का संचालन कर रहे हैं, जिसमें हाथ करघे का उत्पादन हम शहर में ‘देसी’ के माध्यम से बेचते हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि देश में हैंडलूम रिजर्वेशन एक्ट होने के बावजूद साड़ी, टॉवेल और धोती जैसे कपड़े पावरलूम में बनवा कर हैंडलूम के नाम से बेचा जा रहा है। उन्होंने विभिन्न राज्यों में चल रही सस्ते चावल की योजना को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह गरीबी-भूख मरी का तात्कालिक हल हो सकता है लेकिन इसका दूरगामी परिणाम खतरनाक है। सरकार का काम लोगों को स्वावलंबी बनाने का होना चाहिए।

अन्ना का आंदोलन जिद का है : जुगलकिशोर

जुगल किशोर
लखनऊ इप्टा के प्रतिनिधि और ‘पीपली लाइव’ में मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी जुगलकिशोर का मानना है कि अन्ना हजारे का आंदोलन जिद पर आधारित है, इसमें उनका अहंकार ही झलक रहा है। ‘भास्कर’ से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इप्टा में समय के हिसाब से बदलाव की बात से वह बहुत ज्यादा इत्तफाक नहीं रखते, क्योंकि इप्टा में बातें तो आज की ही होती है, जहां तक विचारधारा की बात है तो सारी विचारधाराएं बहुत ही आधुनिक है। जहां आम जन , किसानों और मजदूरों की बात होती हो वहां और क्या बदलाव होना चाहिए..? ‘पीपली लाइव’ के अपने किरदार पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं राजधानी लखनऊ में रहता हूं और वहां हमेशा नेताओं को देखते रहता हूं, इसलिए मुख्यमंत्री का किरदार निभाना मेरे लिए जरा भी चैलेंजिंग नहीं था। उन्होंने कहा कि आज कल वह अपना पूरा ध्यान अपनी भारतेंदु नाटक अकादमी पर केंद्रित किए हैं।

13th National Convention & Cultural Meet- IPTA

Indian People Theatre Association (IPTA) formally announces the dates for its 13th National Meet & National Cultural Festival from 26th to 28th December 2011 in Bhilai, Chhattisgarh. 

Start date: 
Mon, 12/26/2011 - 05:30
End date: 
Wed, 12/28/2011 - 05:30
Venue: 
Steel City Bhilai
The National Convention and Cultural Ceremony of IPTA will be organised for the first time in the steel city Bilai, from December 26 to 28, informed Rajesh Shrivastav, General Secretary, Chhattisgarh Unit, IPTA while addressing a press conference in Bhilai, on Sunday. He stated that thorough discussion on conceptual and artistic aspects of contemporary contradictions will take place during the convention. Several prominent personalities associated with theatre will participate in the programme. And around 1000 artists from 24 states and union territories will depict the cultural diversity through their performance, and also raise the issues concerning the weaker section of society. Special conversations focused on drama, dance, music etc will also take place, he further informed.

Ranveer Singh National Vice President, IPTA stated that two-day national meeting was recently convened in Bhilai, in which the IPTA office bearers and members from different parts of the country participated. In this meeting, they pledged to dedicate all their energy and creative effort for providing healthy entertainment and pressing the issues related to public awareness.

All the IPTA office bearers appealed all the citizens to offer their importance assistance for successful organization of 13th national convention of IPTA in Bhilai.
फेसबुक पेज : 13th National Convention & Cultural Meet- IPTA 
भिलाई इप्‍टा वेब पेज : इप्‍टा भिलाई.

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Pa Pa Pa Ppaan- Pa Pa Pa Ppaan- Pa Pa Pa Ppaan Pa Pa Ppan
Sariyaa Vaasi...
Super Mama Ready.. Oneee Twooo Three Four..
Whaa Wat-A Change Over Mama.
Ok Mama Now Tune Change-U.
Kaila Glassu..
Only English...
Handula Glass-U, Glass-La Scotch-U Eyes-U Full-Aa Tear-U
Empty Life-U Girl-U Come-U Life-U Reverse Gear-U
Lovvu Lovvu Oh My Lovvu, You Showed Me Bouv-U
Cow-U Cow-U Holy Cow-U, I Want You Hear Now-U
God-U I Am Dying Now-U, She Is Happy How-U
This-U Song-U For Soup Boys-U,
We Don't Have Choice-U
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